The Definitive Guide to Shodashi

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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥

साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं

॥ इति श्रीत्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

Saadi mantras tend to be more accessible, utilized for common worship and also to invoke the presence in the deity in lifestyle.

Upon going for walks to her historical sanctum and approaching Shodashi as Kamakshi Devi, her electric power boosts in depth. Her templed is entered by descending down a darkish narrow staircase that has a group of other pilgrims into her cave-llike abode. There are numerous uneven and irregular steps. The subterranean vault is warm and humid and but there is a sensation of security and and safety inside the dim light.

यत्र श्री-पुर-वासिनी विजयते श्री-सर्व-सौभाग्यदे

पुष्पाधिवास विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि

सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥

देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥५॥

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥११॥

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की click here रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥

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